बस्तर की संस्कृति को बचाने देवगुडिय़ों और घोटूलों का किया जा रहा संरक्षण

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0 जीर्णोद्धार के साथ किया जा रहा भूमि का अभिलेखीकरण

जगदलपुर। सांस्कृतिक धरोहरों से परिपूर्ण बस्तर संभाग में शासन की महत्वपूर्ण योजना के तहत संभाग के देवगुड़ी, मातागुड़ी, घोटुल और मृतक स्मारक स्थलों को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत बस्तर संभाग में 06 हजार 318 देवगुड़ी, मातागुड़ी, घोटुल और मृतक स्मारक स्थलों को संरक्षित करने के लिए राजस्व अभिलेख में शत प्रतिशत दर्ज कर लिया गया है, जिसमें 02 हजार 481 देवगुड़ी, 02 हजार 935 मातागुड़ी, 564 घोटुल और 338 प्राचीन मृतक स्मारक शामिल हैं। देवगुड़ी और मातागुडिय़ों के लिए साथ ही घोटुलों के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण के लिए न्यूनतम 5-5 लाख रुपए की स्वीकृति भी शासन द्वारा प्रदान की गई है। संभाग आयुक्त श्री श्याम धावड़े ने इन स्थलों को संरक्षित करने के लिए देवी-देवताओं के नाम पर 3-1 (ठ) के तहत सामुदायिक वनाधिकार पत्र जारी कर सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ-साथ देवस्थल परिसर में फलदार-छायादार पौधारोपण व संरक्षण पर जोर दिया है। इसके साथ ही संभाग में 20 हजार 101 बैगा, मांझी, चालकी, सिरहा, गुनिया, गायता, पुजारी, बजनिया, अटपहरिया का पंजीयन किया गया है, जो बस्तर की लोक परंपराएं, रीति नीति व विशिष्ट संस्कृति के संरक्षण में निरंतर अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहे हैं। शासन द्वारा उन्हें राजीव गांधी भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना के तहत लाभ दिया जा रहा है।

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