प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व मंच पर एजेंडा तय करने वाला बन गया है: रक्षा मंत्री

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रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में फिक्की के एक कार्यक्रम में गलवान और तवांग की घटनाओं के दौरान भारतीय सेना की वीरता की सराहना की; कहा, हमारा किसी की भूमि पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर कोई बुरी दृष्टि डालने का प्रयास करता है तो हम तैयार हैं

“विश्व को भारत से अपेक्षाएं हैं, पिछले छह सालों में रक्षा निर्यात में सात गुना वृद्धि दर्ज की गई है”

श्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए घरेलू उद्योग और विदेशी ओईएम से भारतीय रक्षा क्षेत्र में और अधिक निवेश करने का आग्रह किया

“रक्षा उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था का सनराइज सेक्टर बनेगा”

नई दिल्ली (IMNB). रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज गलवान और तवांग की घटनाओं के दौरान अद्वितीय वीरता दिखाने के लिए भारतीय सेना की प्रशंसा की। नई दिल्ली में फेडरेशन ऑफ इंडियन कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के 95वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने बल देकर कहा कि भारत का दूसरे देशों की भूमि पर कब्जा करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर कोई बुरी दृष्टि डालने का प्रयास करता है तो देश हमेशा तैयार रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य एक महाशक्ति बनना है जो दुनिया के कल्याण के लिए काम करे।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सफलता की नई ऊंचाइयां छू रहा है और 2014 में निवेश फर्म मॉर्गन स्टेनली द्वारा गढ़े गए शब्द ‘फ्रैजाइल फाइव’ से ‘फैबुलस फाइव’ की श्रेणी में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा, “भारत अब विश्व की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। हमें 1991 से तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 31 वर्ष का समय लग गया। मुझे विश्वास है कि अगले सात वर्षों में ही तीन ट्रिलियन डॉलर जोड़े जा सकेंगे।”

रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता और निर्णय लेने की क्षमता के कारण भारत अब विश्व पटल पर एजेंडा तय करने वाला देश बन गया है। उन्होंने कहा, भारत की जी-20 अध्यक्षता भारत के बढ़ते कद का प्रमाण है। उन्होंने कहा, “जी-20 की थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है जिसके माध्यम से विकास की एक समावेशी और निर्णायक रुपरेखा निर्धारित की जाएगी। वसुधैव कुटुम्बकम और विश्व कल्याण की भावना से प्रेरित होकर, हमारे प्रधानमंत्री ने आर्थिक और मानव विकास के लिए भारत के संकल्प को उन देशों के साथ साझा करने का निर्णय लिया है जो अभी तक कोविड-19 से उबर नहीं पाए हैं।”

श्री राजनाथ सिंह ने सरकार द्वारा किए गए प्रक्रियात्मक और संरचनात्मक सुधारों को रेखांकित किया, जिसने एक मजबूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर नवीन भारत’ की दिशा में एक लंबी छलांग लगाने के लिए आधार तैयार किया है। उन्होंने एक डिजिटल वित्तीय अवसंरचना, प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के सृजन का विशेष उल्लेख किया, जो विशेष रूप से निर्धन व्यक्तियों के लिए वरदान साबित हुआ है।

रक्षा मंत्री ने भारतीय रक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए कई सुधारों को सूचीबद्ध किया, जिसमें एफडीआई मानदंडों को सरल बनाना और ऑटोमैटिक रूट के तहत अधिकतम सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाना और सरकारी रुट के तहत 100 प्रतिशत तक बढ़ाना शामिल है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए 2022-23 में पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत घरेलू उद्योग के लिए निर्धारित किया गया है। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में समेकित होने के लिए घरेलू उद्योग और विदेशी ओईएम से अपील की।

श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि सुधारों से वांछित परिणाम प्राप्त हुए हैं और पिछले छह वर्षों में रक्षा निर्यात में सात गुना वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, 2025 तक रक्षा उत्पादन को 12 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 22 अरब अमेरिकी डॉलर करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “रक्षा क्षेत्र के लिए यह एक स्वर्णिम काल है क्योंकि इसने लड़ाकू विमान, विमानवाहक प्रमुख युद्धक टैंक तथा हमलावर हेलीकाप्टरों के विनिर्माण द्वारा अपनी क्षमताएं प्रदर्शित की हैं। भारतीय रक्षा उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और अपनी वैश्विक उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह न केवल बड़ी कंपनियों बल्कि स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को भी आकर्षित कर रहा है। हाल के वर्षों में कई स्टार्ट-अप उभरे हैं। 2014 में देश में मुश्किल से 400-500 स्टार्टअप थे। आज यह संख्या बढ़कर 80,000 तक पहुंच चुकी है। रक्षा उद्योग में विकास की विपुल संभावनाएं हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था का सनराइज सेक्टर बनने जा रहा है।”

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