*बिजली कटौती से त्रस्त जनता से अब सुरक्षा निधि के नाम पर अतरिक्त बोझ डाल रही राज्य सरकार : भावना बोहरा*

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 कबीरधाम जिले सहित छत्तीसगढ़ में अघोषित बिजली कटौती के बाद अब सुरक्षा निधि के नाम पर तीन गुना बिलजी का बिल देखकर जनता परेशान है और जनता में असमंजस व खासी नारजगी देखी जा रही है। भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री और जिला पंचायत कबीरधाम की सभापति भावना बोहरा ने कहा कि चुनाव के पूर्व छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने कर्जा माफ़ बिजली हाफ का नारा दिया था, लेकिन इसके विपरीत प्रदेश में बिजली कटौती, अनियमित बिल एवं सुरक्षा निधि के नाम पर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा जनता के ऊपर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि बिजली की अनियमित कटाई से पहले ही त्रस्त जनता से अब सुरक्षा निधि के नाम पर मनमानी वसूली करके राज्य सरकार केवल अपना राजस्व भरने के लिए जनता पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। कुछ ही माह पूर्व बिजली खपत के प्रति यूनिट में 30 पैसे की वृद्धि करना राज्य सरकार के खोखले दावों की हकीकत को जनता के सामने उजागर कर रही है। विगत वर्षों में राज्य सरकार ने बिजली के दामों में चार बार वृद्धि की है, बिजली के बिल में भी गड़बड़ी के कारण जनता को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहें हैं और राज्य सकरार इसका कोई समाधान नहीं निकाल रही है। विगत 4 वर्षों में कांग्रेस सरकार ने जो वादे किये हैं सभी अधूरे हैं। व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है और बिजली अघोषित कटौती के कारण किसान एवं व्यवसायीयों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

आज कांग्रेस सरकार द्वारा किये गए सभी वादें अधूरे हैं। किसान कर्ज के कारण अपनी जान गँवा रहें हैं, अनियमित बिजली की कटौती से किसानों को सिंचाई करने में दिक्कतें हो रहीं हैं, व्यापारियों को जनरेटर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है लेकिन राज्य सरकार और प्रशासन केवल अपना राजस्व बढ़ाने में लगे हैं जनता की तकलीफों की उन्हें कोई चिंता नहीं है। कुछ माह पूर्व जब बिजली के दामों में प्रति यूनिट 30 पैसों की वृद्धि की गई थी और राज्य सरकार उसे मामूली वृद्धि बताकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रही थी तब भी जनता में आक्रोश साफ़ दिखाई दे रहा था, और राज्य सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा केंद्र सरकार के ऊपर लगा रही थी जो की अनुचित है।

कांग्रेस सरकार द्वारा चुनाव के पूर्व दो वर्ष का बकाया धान बोनस देने की घोषणा की गई थी लेकिन राज्य सरकार द्वारा अभी तक किसानों को बकाया धान बोनस नही दिया गया है। स्वसहायता समूह की बहनों से रेडी-टू-इट का अधिकार छिनकर उन्हें बेरोजगार किया, प्रदेश की विधवा माताओं-बहनों को 1000 रु पेंशन नहीं दिया जा रहा, प्रदेश में विकास की गति पूरी तरह थमी हुई है और भी कई बड़े-बड़े वादें हैं जो केवल कांग्रेस के घोषणा पत्र में ही रह गए जमीनी हकीकत में उनका कोई नामोनिशान दिखाई नहीं देता। छत्तीसगढ़ में विकास का ग्राफ नीचे और लूट,हत्या,अनाचार, हिंसा और अपराध का ग्राफ रोजाना ऊपर जा रहा है और राज्य सरकार एवं प्रशासन इसे रोकने में पूरी तरह विफल है।

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