नयी दिल्ली/रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा कि नागरिक आपूर्त्ति निगम (नान) से जुड़े कथित घोटाले के सदंर्भ में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले दिनों में उनको लेकर उच्चतम न्यायालय में ‘‘हल्की बात’’ की जो उचित नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि वह न्यायाधीश से नहीं मिले थे और ऐसे में इस तरह की बातें अब नहीं होनी चाहिए.
बघेल ने यहां ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’ का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘सॉलिसिटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि मुख्यमंत्री (बघेल) ने न्यायाधीश से मिलकर निर्णय को प्रभावित किया. उनसे पूछा गया कि आपसे यह किसने कहा तो उन्होंने कहा कि दो लोग व्हाट्एस एप पर बात कर रहे हैं उस आधार पर आरोप लगा रहे हैं. यह बात तो हास्यापस्द है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘सॉलिसिटरर जनरल के पद पर बैठा व्यक्ति उच्चतम न्यायालय में इतना हल्की बात करे, वो उचित नहीं है. मैं न्यायाधीश से नहीं मिला. अब ऐसी बात नहीं की जानी चाहिए.’’ कथित नान घोटाले के संदर्भ में पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्यमंत्री बघेल के कथित निकटतम सहयोगी की व्हाट्सऐप से हुई बातचीत का उल्लेख किया था, जिसमें कहा गया था कि नान घोटाला मामले के कुछ आरोपियों को जमानत मंजूर करने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री एक न्यायाधीश से मिले थे.
उधर, छत्तीसगढ़ सरकार ने नान घोटाले में मुख्यमंत्री बघेल की कथित संलिप्तता के संदर्भ में केंद्र सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी की आशंका को दरकिनार करते हुए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मुख्यमंत्री ने किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कभी मुलाकात नहीं की.
शीर्ष अदालत नान अथवा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से संबंधित पीएमएलए (धनशोधन निवारण अधिनियम) मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने संबंधी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. बघेल ने यहां यह भी कहा कि उनकी सरकार अपने राज्य में आदवासियों के आरक्षण बढ़ाने के मकसद से जल्द ही उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी. उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा आरक्षण के पक्ष में नहीं है. केंद्र सरकार सारे पदों को खत्म करते जा रहे हैं तो फिर आरक्षण का मतलब क्या रहता है. ’’
राजनीतिक उद्देश्यों से झूठे, शरारत पूर्ण आरोप लगाए जा रहे हैं: भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में एक मामले की सुनवाई के दौरान राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उन पर ‘झूठे और शरारत पूर्ण’ आरोप लगाए.
राज्य में ‘नागरिक आपूर्ति निगम’ (नान) घोटाले से संबंधित धनशोधन के मामले को छत्तीसगढ़ के बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष दावा किया था कि कुछ आरोपियों को जमानत मिलने से दो दिन पहले एक न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. मामले को स्थानांतरित करने के अनुरोध के अलावा, ईडी ने धन शोधन मामले में कुछ हाई-प्रोफाइल आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने का भी अनुरोध किया है.
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपियों और ‘‘उच्च पदस्थ व्यक्तियों’’ के बीच ‘‘मिलीभगत’’ का आरोप लगाते हुए कहा था कि यदि राज्य में सुनवाई होती है तो मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई होना असंभव है. मेहता ने उच्चतम न्यायालय की पीठ से कहा था, ‘‘जमानत से दो दिन पहले मुख्यमंत्री से विद्वान न्यायाधीश की मुलाकात-अपने आप में काफी है. मुझे और कुछ नहीं कहना. मैं यह नहीं कहना चाहता था. अगर यह आपकी अंतरात्मा को नहीं झकझोर सकता, तो कुछ भी नहीं हो सकता.’’ वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मुख्यमंत्री कभी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से नहीं मिले.
बघेल ने शीर्ष विधि अधिकारी के दावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि सॉलिसिटर जनरल जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति राजनीतिक उद्देश्यों से झूठे एवं शरारत पूर्ण आरोप लगा रहा है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कभी किसी न्यायाधीश से मिलकर किसी भी अभियुक्त का किसी भी प्रकार का पक्ष लेने का अनुरोध नहीं किया.’’ मुख्यमंत्री ने ट्वीट में लिखा है, ‘‘यह मेरी राजनीतिक छवि खराब करने एवं न्यायपालिक को दबाव में लाने का षड्यंत्र है जिसका समुचित प्रतिकार किया जाएगा.’’
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