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रायपुर :छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद पहली बार प्रशासनिक तौर पर विफलता के लिए जिले के कलेक्टर और एसपी के निलंबन कर सरकार ने सिस्टम को बड़ा संदेश दे दिया है।
बलौदाबाजार में हुई हिंसा मामले में गुरुवार देर रात राज्य सरकार ने तत्कालीन कलेक्टर और एसपी को निलंबित कर दिया है। दो दिन पहलेही दोनों अफसरों को हटाकर नए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई थी। अब कलेक्टर मंत्रालय में अटैच रहेंगे और एसपी को पीएचक्यू में अटैच कर दिया गया है।
गुरुवार की दोपहर में कांग्रेस की 7 सदस्यीय जांच टीम घटना स्थल पर पहुंची। इस दौरान टीम के संयोजक और पूर्व मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया ने कहा कि, जैतखाम को क्षतिग्रस्त किया गया, तब FIR भी नहीं हुई। समाज के लोग जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। अगर पहले ही जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। इससे पहले नेताओं ने सतनामी समाज के धार्मिक स्थल गिरौदपुरी पहुंचकर अमर गुफा में पूजा-अर्चना की।
जांच टीम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल के साथ कई वरिष्ठ नेता और सभी विधायक शामिल हैं।
रायपुर से निकलने के दौरान भी डहरिया ने कहा था कि औरंगजेब से ज्यादा BJP ने सतनामी समाज को प्रताड़ित किया है। भाजपा हमेशा से ही हमारे सतनामी समाज के खिलाफ रही।
जानिए पूरा घटनाक्रम
15 मई की देर रात सतनामी समुदाय के धार्मिक स्थल गिरौदपुरी धाम से करीब 5 किमी मानाकोनी बस्ती स्थित बाघिन गुफा में लगे धार्मिक चिन्ह जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। जैतखाम तोड़े जाने के विरोध में समाज के हजारों लोग कलेक्ट्रेट के पास मौजूद दशहरा मैदान में कई दिन से प्रदर्शन कर रहे थे।
पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लोगों का आरोप है कि पकड़े गए लोग असली आरोपी नहीं हैं और पुलिस दोषियों को बचा रही है। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान लोग इसी बात को लेकर उग्र हो गए। इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए।
उपद्रवियों ने 2 दमकलों सहित 77 वाहन फूंके
उपद्रवियों ने 75 बाइक, 20 कार और 2 दमकल वाहन को आग के हवाले कर दिया। लोगों ने कलेक्ट्रेट में खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की। इसके बाद कुछ लोगों ने कलेक्ट्रेट में आगजनी की। इससे कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर खाक हो गए। कलेक्टर कार्यालय के सामने स्थित ध्वजारोहण के पोल पर सफेद रंग का ध्वज लगा दिया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। इसमें पुलिसकर्मियों सहित कुछ लोग भी घायल हुए हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद डिप्टी CM विजय शर्मा सोमवार देर रात
घटनास्थल पहुंचे। मौके का जायजा लिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उपद्रवियों की गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए।
मुख्यमंत्री की कार्रवाई
10 जून को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें उपद्रवियों की गिरफ्तारी के आदेश जारी किए गए। मौके पर IG और कमिश्नर को भेजकर रिपोर्ट तलब की। इसी दिन 7 अलग-अलग FIR दर्ज की गई। 73 आरोपी गिरफ्तार हुए, 200 हिरासत में लिए गए। उपद्रवियों की तलाश के लिए पुलिस की 12 टीमें और जांच के लिए 22 पुलिस अफसरों की टीम बनाई गई। 11 जून को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मीटिंग में अधिकारियों की बैठक लेकर नाराजगी जताई। कहा कि, इतनी बड़ी घटना हो गई आप लोगों तक जानकारी कैसे नहीं पहुंची? क्यों बैकअप नहीं रखा गया? इसके बाद देर रात आईएएस दीपक सोनी को नया कलेक्टर और विजय अग्रवाल को नया एसपी नियुक्त किया गया।हटाए गए कलेक्टर केएल चौहान को मंत्रालय में विशेष सचिव और एसपी सदानंद कुमार को पुलिस मुख्यालय भेजा।
120 साल पुराना रिकार्ड खत्म
बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में अंग्रेजों के जमाने का 100 से 120 साल पुराना राजस्व का रिकार्ड भी उपद्रव की आग में जलकर खाक हो गया। करीब सौ साल तक बलौदाबाजार जिले के अंतर्गत आने वाले इलाकों का पूरा रिकार्ड और अन्य फाइलें रायपुर कलेक्ट्रेट में सुरक्षित थीं।
2011-12 में बलौदाबाजार को अलग जिले का दर्जा मिला। उसी के बाद 10 ट्रकों में यहां से पूरा रिकार्ड एक-एक कर बलौदाबाजार भेजा गया था। अब तक की जांच के अनुसार सोमवार को बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में लगाई गई आग में एक भी रिकार्ड सुरक्षित नहीं बचा है।पुराना रिकार्ड जल जाने से अब राजस्व संबंधित मामलों की जांच में दिक्कत आएगी,पुराना रिकार्ड जल जाने से अब राजस्व संबंधित मामलों की जांच में दिक्कत आएगी, क्योंकि अब रायपुर में भी उसका रिकार्ड नहीं है। बलौदाबाजार जिले के राजस्व का 1929 का बंदोबस्त मिशन (नक्शा), 1939-40 तक चकबंदी मिशन (नक्शा) की एक-एक फाइल यहां से भेज दी गयी है। इसके जल जाने से अब वहां जाति प्रमाण पत्र के प्रकरण उलझ जाएंगे। इसी तरह रजिस्ट्री, राजस्व, फूड, आबकारी, खनिज से संबंधित सारे दस्तावेजों को भी वहीं भेज दिया गया था। इनकी दूसरी कॉपी नहीं है। ऐसे में राजस्व संबंधित प्रकरणों को निपटाने काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा बी-1 में यदि जमीन के मालिक का नाम नहीं चढ़ा होने पर परेशानी होगी। बिना रिकार्ड नाम चढ़ाना संभव ही नहीं है। ऐसे में जमीन के मालिक होने के बाद भी नाम चढ़ाने के लिए भटकना पड़ेगा।
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