नयी दिल्ली. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के नागरिक आपूर्त्ति निगम (नान) घोटाले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संलिप्तता के संदर्भ में केंद्र सरकार के एक शीर्ष विधि अधिकारी की आशंका को दरकिनार करते हुए बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मुख्यमंत्री ने किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कभी मुलाकात नहीं की.
शीर्ष अदालत नान अथवा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से संबंधित पीएमएलए (धनशोधन निवारण अधिनियम) मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने संबंधी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्यमंत्री के कथित निकटतम सहयोगी की व्हाट्सऐप से हुई बातचीत का उल्लेख किया था, जिसमें कहा गया था कि नान घोटाला मामले के कुछ आरोपियों को जमानत मंजूर करने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री एक न्यायाधीश से मिले थे.
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी, ‘‘हमने जानकारी ली है. मुख्यमंत्री ने कभी भी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से मुलाकात नहीं की.’’ मेहता ने यह कहते हुए इसका जवाब दिया कि उन्होंने व्हाट्सऐप बातचीत का केवल उल्लेख किया है.
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट की पीठ ने इस मामले में समयाभाव और विशेष पीठ की अनुपलब्धता के कारण सुनवाई आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया तथा इसे 14 नवम्बर से शुरू हो रहे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी. आठ नवम्बर को सेवानिवृत्त हो रहे प्रधान न्यायाधीश और अन्य दो न्यायाधीश तीन अलग-अलग पीठों का हिस्सा हैं और वे इस मामले की सुनवाई अन्य तीन पीठों के नियमित कामकाज छोड़कर ही आ पाते हैं.
आदेश में कहा गया है, ”हालांकि, हमने विभिन्न पक्षकारों के अधिवक्ताओं को कुछ समय के लिए सुना है, लेकिन रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों और परिस्थितियों तथा विशेष रूप से इस तथ्य पर विचार करते हुए कि संबंधित मामले में दलीलों को एक दिन में पूरा नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसे आंशिक सुनवाई से मुक्त किया जाता है.’’ ईडी और राज्य सरकार द्वारा दाखिल दस्तावेजों को फिर से सील करने का आदेश देते हुए पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह सीजेआई से उचित निर्देश लेने के बाद मामले को 14 नवंबर को शुरू हो रहे सप्ताह में एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करे.
न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि चूंकि वह अब मामले की सुनवाई नहीं करेंगे, इसलिए वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. शुरुआत में, कुछ वकीलों ने सुनवाई स्थगित करने की मांग की, क्योंकि विशेष पीठ दोपहर करीब 3.35 बजे बैठी थी और कुछ ही देर बाद प्रधान न्यायाधीश ने मामले को संक्षिप्त सुनवाई के बाद इस मामले को आंशिक सुनवाई से मुक्त करने का फैसला किया.
ईडी की याचिका पर अब नये सीजेआई द्वारा गठित एक अन्य पीठ नये सिरे से सुनवाई करेगी. इससे पहले ईडी ने आरोपी और ”उच्च पदस्थ व्यक्तियों” के बीच ‘मिलीभगत’ का आरोप लगाते हुए पीठ को बताया था कि 170 में से 72 गवाह मुकर गए हैं. एजेंसी ने कहा था कि राज्य में इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है.
+ There are no comments
Add yours