देश की आजादी में जनजातीय नायकों की रही महत्वपूर्ण भूमिकाः उइके

Estimated read time 1 min read

रायपुर. राज्यपाल अनुसुईया उइके आज भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल र्हुइं. उइके ने कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि आजादी के इस अमृत महोत्सव वर्ष में देश-भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय योगदान विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

राज्यपाल उइके ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ की गई अद्भुत पहल है. इसके द्वारा देश की स्वतंत्रता में योगदान देने वाले उन सभी गुमनाम आदिवासी नायकों को पहचान मिलेगी . इससे देश के प्रति इनके योगदान से आज के युवा पीढ़ी को परिचित कराया जा सकेगा.

उइके ने कहा कि जनजातीय समुदाय के हजारों नायकों के नेतृत्व में इस समुदाय के महिलाओं, पुरूषों और बच्चों ने बड़ी संख्या में ब्रिटिश शासन के अत्याचार के विरूद्ध निरंतर संघर्ष करते हुए अपने प्राणों को देश के लिए न्यौछावर कर दिया. देश की आजादी में अपना अमूल्य योगदान देने वाले उन सभी आदिवासी के जीवन से आज के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के वीर गुण्डाधुर, दलगंजन सिंह, हिड़मा मांझी, धुर्वाराव, नांगुल दोरला, झाड़ा सिरहा, वीर नारायण सिंह समेत बिरसामुण्डा, रानी दुर्गावती जैसे देशभर में कई ऐसे महान आदिवासी नेता हुए जिन्होंने अंग्रेजों और शोषणकारी तत्वों से संघर्ष किया. आजादी की लड़ाई में छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों द्वारा हल्बा विद्रोह, परलकोट विद्रोह, कोई विद्रोह ,मुरिया विद्रोह और भूमकाल विद्रोह जैसे कई विद्रोह किए गए.

साथ ही वे सभी आदिवासियों को विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ निरंतर जागरूक करते हुए उन्होंने देश और समाज को एक नई दिशा दी. उन्होंने हमारे देश की धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष किया. राज्यपाल ने कहा कि हमें लम्बे संघर्ष के बाद मिली इस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सदा प्रयासरत रहना चाहिए. साथ ही हमें हमारे पुरातन धर्म और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए भी प्रयत्नशील होना चाहिए.

इस अवसर पर एस.जी.एस.आई.टी.एस. इंदौर के मिलिंद दाण्डेकर ने कहा कि देश की आजादी में जनजातीय समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही . इस समुदाय ने अपने जंगलों की रक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार का प्रबल विरोध किया. उन्होंने कहा कि आज की नई पीढ़ी को आदिवासी समुदाय के बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके समृद्धशाली इतिहास और संस्कृति का अनुकरण करना चाहिए.
सचिव भारत सरकार अलका तिवारी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के दायित्वों, उसकी शक्तियों एवं उसकी कार्यप्रणाली के बारे में सभा को अवगत कराया. इस अवसर पर आई.आई.एम. रायपुर के निदेशक प्रो. रामकुमार कांकाणी एवं कर्नल हरींद्र त्रिपाठी सहित विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित थे.

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours