रायपुर. आज के दौर में सूचनाओं का प्रवाह तेजी से हो रहा है. ऐसे में केवल सैद्धांतिक रूप से जानकारी हासिल करने से काम नहीं चलेगा. हमें अधिकाधिक प्रयोगों को खुद करके देखना होगा भले ही इसमें कई बार असफलता क्यों न मिले. उक्त बातें छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर में आज छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद के पूर्व महानिदेशक प्रो. एम एम हम्बर्डे ने कही.
छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर में आज से 10 दिवसीय रोबोटिक्स वर्कशॉप की शुरूआत की गई है जिसका थीम है हैंड्स आन एक्टिविटी. इस वर्कशॉप में रायपुर के शासकीय स्कूलों में विज्ञान संकाय के 50 छात्रों को शामिल किया गया है जो 10 दिनों तक रोबोटिक्स की बारीकियों और भविष्य मे इसकी आवश्यकता और उपयोगिता के बारे मे जानेंगे.
छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर की स्थापना नवीन खोजों एवं प्रायोगिक क्रियाकलापों को स्वयं करने, सीखने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने, नवीनतम वैज्ञानिक तथा तकनीकी अविष्कारों का प्रदर्शन करने, विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से की गयी है. इसी कड़ी में स्कूली छात्रो को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (A.I.) के प्रति जागरूक करने तथा भविष्य में रोबोटिक्स की महत्ता को देखते हुए छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर में 10 दिवसीय रोबोटिक्स वर्कशॉप- हैण्ड आन एक्टिविटी का आयोजन किया जा रहा है. इसकी शुरूआत बुधवार से की गयी है.
छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर की स्थापना के बाद ये पहला अवसर है जब इस तरह का आयोजन यहां किया जा रहा है. स्कूली बच्चो को संबोधित करते हुए साइंस सेंटर के महानिदेशक डॉ एस कर्मकार के अनुसार विज्ञान केवल प्रकृति की खोज नहीं बल्कि सत्य की सर्वोच्च सत्ता स्वीकार करने का तंत्र है. छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेंटर के परियोजना निदेशक डॉ शिरीष सिंह ने बताया कि वर्तमान में पूरी दुनिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर बात की जा रही है और नैनो टेक्नोलाजी की वजह से नए अविष्कार भी हो रहे हैं, लिहाजा छत्तीसगढ़ के बच्चों में भी विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी को लेकर जागरूकता बरकरार रखने की आवश्यकता है और इसीलिए इस वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है.
+ There are no comments
Add yours