आरक्षण नहीं दिला पाया तो राजनीति से अलग हो जाऊंगा:कवासी लखमा

Estimated read time 1 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे पर बवाल जारी है। आदिवासी समाज आरक्षण खत्म होने को लेकर आंदोलित है। इस बीच प्रदेश के उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, अगर वे आदिवासियों को आरक्षण नहीं दिला पाये तो खुद को राजनीति से अलग कर लूंगा। गुरुवार को रायपुर में मीडिया से बातचीत में कवासी लखमा ने कहा, मैं, मेरी सरकार, मेरे मुख्यमंत्री आदिवासी भाई लोग से लगातार बैठकर सुझाव ले रहे हैं। उन्हीं के सुझाव पर कर्नाटक, तमिलनाडु गए। उन्हीं के सुझाव और मांग पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। उससे बढ़कर क्या करना है। हम दो तारीख को इसे (आरक्षण विधेयक को) पास कराएंगे।Ó लखमा ने कहा, हम राज्यपाल के पास, राष्ट्रपति के पास और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे। अगर उस समय तक सफलता नहीं मिला तो मैं अपने आप को राजनीति से अलग कर लुंगा।Ó सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का यह बयान उस समय आया जब कैबिनेट ने आरक्षण देने के लिए दो संशोधन विधेयकों को मंजूरी दी है। इन विधेयकों को सरकार विधानसभा से पारित कराने की तैयारी में है। दावा किया जा रहा है, इससे सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिल जाएगा। इधर मुंबई रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, आरक्षण के लिए ही हम विधानसभा का विशेष सत्र बुला रहे हैं। कवासी लखमा को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आरक्षण पर आज क्या हुआ पढ़े पूरी खबर बुधवार को मंत्री कवासी लखमा भानुप्रतापुर विधानसभा उप चुनाव के लिए प्रचार करने वहां के एक गांव बोगर पहुंचे थे। वहां सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने उन्हें घेर लिया। वे लोग आरक्षण मामले में सरकार के स्टैंड का विरोध करने लगे। इसपर कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री मंडावी ने कहा, मंत्री कवासी लखमा ने अपनी हर सभा में लोगों से ये वादा किया है कि अगर वे आदिवासियों को फिर से 32त्न आरक्षण नहीं दिला पाएं तो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। कवासी लखमा ने कहा, आदिवासी समाज दो दिसम्बर तक शांत रहे। आरक्षण के मुद्दे पर ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। सरकार आदिवासी हितों को नुकसान नहीं पहुंचने देगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण का नया अनुपात तय हुआ। इसमें आदिवासी वर्ग-स्ञ्ज को उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32त्न आरक्षण देगी, अनुसूचित जाति-स्ष्ट को 13त्न और सबसे बड़े जातीय समूह अन्य पिछड़ा वर्ग-ह्रक्चष्ट को 27त्न आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को 4त्न आरक्षण दिया जाएगा। संविधानिक मामलों के विशेषज्ञ बी.के. मनीष का कहना है, बिलासपुर उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर के अपने फैसले के पैराग्राफ 81 में स्ष्ट-स्ञ्ज को 12-32त्न आरक्षण को इस आधार पर अवैध कहा है कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह भी कहा है कि मात्र प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता से, बिना किसी अन्य विशिष्ट परिस्थिति के 50त्न आरक्षण की सीमा नहीं लांघ सकते। सर्वोच्च न्यायालय कई फैसलों में इस बात को कह चुका है। ऐसे में केवल विधेयक लाकर आरक्षण को प्रभावी नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा हुआ तो अदालत इसपर रोक लगा देगा। ऐसे में सरकार की डगर आसान नहीं रहने वाली।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours