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रायपुर :
पंजाब में अभी भी पेंच खत्म नहीं हुआ है। भले ही कैप्टन ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया हो और विधायक दल ने सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष को दल का नेता चुनने का अधिकार सौंप दिया हो। फिलहाल चित्र यही है कि कैप्टन अमरिंदर के शब्द ही कांग्रेस की राह आसान करेंगे। यह साफ है कि अमरिंदर जिस तरह से खुलकर बोलते दिख रहे हैं उनका भाजपा में शामिल होने के साफ संकेत हैं। बस यही है कि वे कांग्रेस को कितना डैमेज कर सकते हैं यह देखने की कोशिश चल रही है। बहरहाल पंजाब में कांग्रेस ने दो ध्रुव के बीच लड़ाई को लंबा नहीं खिंचते हुए एक स्पष्ट राह की तैयारी कर दी है।पंजाब का नया मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।
पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की आहट से छत्तीसगढ़ में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
छत्तीसगढ़ के हालात भी पंजाब से काफी मिलते-जुलते हैं। सीएम पद के लिए ढाई-ढाई साल के फॉर्म्यूले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। करीब 15 दिन पहले इसी को लेकर पार्टी आलाकमान के साथ कई राउंड बैठक भी हुई थी। अपनी कुर्सी को खतरा देख बघेल अपने समर्थक विधायकों को लेकर दिल्ली पहुंच गए थे। तब जाकर उनकी कुर्सी सुरक्षित रह पाई थी।
सिंहदेव जिस ढाई साल के फॉर्म्यूले के आधार पर सीएम पद पर दावा कर रहे हैं, उसे राहुल की मौजूदगी में ही अंतिम रूप दिया गया था। माना यह जा रहा था कि आलाकमान बघेल के इस रवैये से खुश नहीं था। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कोई कड़ा फैसला नहीं ले पा रहा था, क्योंकि बघेल के पक्ष में ज्यादा विधायक हैं।
पंजाब में संभावित नेतृत्व परिवर्तन के बाद छत्तीसगढ़ में भी सिंहदेव और उनके समर्थक नए सिरे से इसकी मांग कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो बघेल के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।