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रायपुर/पत्थलगांव:बहुप्रतिक्षित पत्थलगांव जिले की ‘प्रतीक्षा ‘आज प्रदेश की कांग्रेसी सरकार के मुखिया भूपेश बघेल द्वारा स्वतंत्रता के 75 वी वर्षगांठ में घोषित किये गए 4 नए जिलों के गठन के पश्चात भी अभी शेष है!विगत लगभग 4 दशक से विधायक रहे रामपुकार सिंग आज पुनः पत्थलगांव वासियों के कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए।लगभग हर चुनावी शंखनाद के बाद पत्थलगांव को जिला बनाने के चुनावी वादे करने वाले कि रामपुकार की पुकार क्या पार्टी के आलाकमान तक ही नहीं पहुंच पाती..? या फिर पार्टी में उनकी अब कोई पैठ पकड़ ही नहीं रही..?बहुंत से ऐसे स्थानीय लोगों सवाल वहां के गलियारों और चौराहों से छन कर सुनाई पड़ रही है।जिनके असल सवाल अभी भी बहुप्रतीक्षित ही रह गए..!
वजह क्या हो सकती है ,,?
सवाल जितना सीधा है, जवाब उतना ही टेढ़ा ! स्थानीय समीकरण का आंकलन और बुद्धिजीवियों की सोच कहती है कि पत्थलगांव में अवैध कब्जे और व्यापार की आड़ लिये लोग कभी नहीं चाहेंगे कि वह शीघ्र जिला बने,,क्योंकि जिले का अमलीजामा जब पत्थलगांव को पहनाया जाएगा तो वहां के प्रशासन तंत्र की कसावट की धार में सैकड़ों 2 नम्बरीयो के पायजामे की नाड कटने से उन्हें उनके निर्वस्त्र हो जाने का भय है,,।उन्हीं के हरे -पीले नोटों की चमक की वर्णान्धता में वहां के लोगों की “पुकार” न तो नेतृत्व द्वारा सूनी जा रही है और न ही देखी जा रही है।और जिसे नेतृत्व मिला वो ही अपना ‘राम’-राज चलाए जा रहे हैं,,!
एक और ..