सफलता की कहानी

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नई दिल्ली (IMNB). यश सोनकिया का परिवार 25 वर्ष पूर्व उनके जन्म पर बहुत खुश हुआ था लेकिन वह खुशी केवल एक दिन के लिए थी क्योंकि दूसरे दिन उन्हें पता चला कि सोनकिया को ग्लूकोमा की बीमारी है और वह देख नहीं सकता है। सोनकिया का लगातार इलाज चला और इलाज के दौरान उनका आठ बार ऑपरेशन भी हुआ। लेकिन आंखों पर लगातार दबाव बढ़ने से आठ वर्ष की उम्र में उसके आंखों की रोशनी पूरी तरह से समाप्त हो गई।

जब डॉक्टरों ने पहली बार 2004 में बताया था कि वह कभी नहीं देख सकेंगे तो उनके पिता ने उन्हें एक अंध विद्यालय में भर्ती कराया, तभी उन्होंने सोच लिया था कि वह बड़े होकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनेंगे। बचपन से ही प्रौद्योगिकी में उनकी गहरी रुचि है। उनके पास दुनिया के लाखों लोगों का जीवन बदलने और उन्हें प्रभावित करने की क्षमता है। उन्होंनेश्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान से हाल ही में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है और अच्छे नंबरों के साथ अपनी परीक्षा उत्तीर्ण की है।

 

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