राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह को जाता है यात्रा की सफलता का श्रेय

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*अनर्गल बयानबाजी के लिए कुख्‍यात जयराम कांग्रेस के लिए होंगे घातक*
*विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन*
मध्‍यप्रदेश में चल रही भारत जोड़ो यात्रा सफलता की सीढि़या चढ़ रही है। पूर्व सीएम कमलनाथ और टीम ने यात्रा को लेकर जो तैयारियां की है उससे भी यात्रा की सार्थकता देखने को मिल रही है। इसके साथ ही कमलनाथ ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए यात्रा से लगभग दो दर्जन सीटों पर तो कब्‍जा कर लिया। हाल ही में मध्यप्रदेश पहुंची राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बीते दिनों इंदौर में राहुल गांधी ने मीडिया के साथियों से बातचीत के लिये एक प्रेसवार्ता का आयोजन करवाया। प्रेसवार्ता के संयोजन की जिम्मेदारी कांग्रेस नेता जयराम नरेश को दी। स्वभाव से घमंडी और लोगों से बात करने की समझ न रखने वाले जयराम रमेश ने राहुल की इस प्रेसवार्ता का पलीता करने में मुख्य भूमिका निभाई। बताया जा रहा है कि यह जयराम नरेश की सोची समझी साजिश थी। वो खुद नहीं चाहते थे कि राहुल गांधी की वार्ता सफल हो और क्योंकि मध्यप्रदेश में यात्रा में मिली सफलता का श्रेय राहुल गांधी, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को मीडिया के सामने देना चाह रहे थे। प्रेसवार्ता में जयराम रमेश फोटो खींचने की मनाही कर रहे थे। यही नहीं जयराम रमेश राहुल गांधी को प्रेसवार्ता में चार बार टोका। वह राहुल को बोलने ही नहीं दे रहे थे लेकिन आखिर में राहुल गांधी को बोलना ही पड़ा कि मैं सबकी बात सुनता हूं। प्रेसवार्ता में तो यही लग रहा था कि यह प्रेस वार्ता राहुल गांधी की नहीं जयराम रमेश की प्रेसवार्ता है। यह राहुल गांधी की सबसे बड़ी गलती थी कि उन्‍होंने प्रेसवार्ता का जिम्‍मा जयराम रमेश को दिया।
*गिनती के पत्रकारों को ही पूछने दिये सवाल*
राहुल गांधी से सवाल पूछने को लेकर उत्साहित पत्रकार बड़ी संख्या में प्रेसवार्ता में शामिल हुए। लेकिन जयराम नरेश ने पहले से ही आठ पत्रकारों सूची अपने पास रख ली और केवल आठ पत्रकारों का सवाल पूछने दिया। सूची में शामिल पत्रकारों से ही जयराम नरेश ने राहुल गांधी को सवाल पूछने का अवसर दिया। मैं खुद वहां राहुल गांधी से आदिवासियों से जुड़े मुद्दे पर सवाल पूछना चाहती थी, मैंने इसके लिये कई बार खड़े होकर सवाल पूछने की इच्छा व्यक्त भी की, लेकिन जयराम नरेश ने एक बार भी मुझे सवाल पूछने का मौका नहीं दिया। इससे जयराम नरेश की नियत का साफ पता चलता था कि उन्होंने सामान्य प्रेसवार्ता नहीं बल्कि प्रायोजित प्रेसवार्ता का आयोजन किया। जिसमें उनके इशारे पर ही चुनिंदा पत्रकारों ने राहुल गांधी से सवाल पूछे। जब तक दूसरे अन्य पत्रकार सवाल पूछते जयराम नरेश ने राहुल गांधी को वहां से जाने का इशारा कर दिया।
*जयराम रमेश ने एक बार सोनिया गांधी को बताया था लूजर*
एक बार जयराम रमेश ने सोनिया गांधी के बारे में कहा था “सोनिया गांधी बिलकुल राबड़ी देवी जैसी है, और उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी अगले 50 वर्ष में भी सत्ता में नहीं आयेगी, सोनिया गांधी एक लूजर है और उनके कारण ही पार्टी का मनोबल काफी नीचे है, उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने का उत्साह अब ठंडा हो चुका है जो लोग उनके अध्यक्ष बनने के बाद स्वर्ग के समान मानते थे अब उनके नर्क के दर्शन हो रहा है”, दरअसल उन्होंने मई- 2000 में लेख लिखा था, जिसका शीर्षक “Sonia, No longer the saviour” में लिखा था। महत्वपूर्ण बात यह है की इस लेख के चार साल बाद कांग्रेस ने सोनिया जी के नेतृत्व में 2004 का आम चुनाव जीता था। अब ऐसे व्यक्ति जो अपने विवेक से काम नहीं लेते उनको महत्व के कार्य में लेना कहां तक उचित है।
*विवादित बयानों से रहा है रमेश का नाता*
जयराम नरेश का नाता हमेशा से ही विवादों से रहा है। जयराम नरेश ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में हुई कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के काम करने के तरीके को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि अगर पार्टी को अपना अस्तित्व बचाना है तो इसे नए सिरे से कोशिश करना होगी। उन्होंने पार्टी की हार को कोरोना वायरस बता दिया था। यही नहीं देश में लाये गये चीतों पर भी जयराम नरेश ने मोदी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि चीता प्रोजेक्ट के लिए 25 अप्रैल, 2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का जिक्र तक न होना ठीक नहीं। उन्‍होंने हाल ही में कहा था कि देश में शौचालय से अधिक मंदिर हैं। उनके इस बयान से दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों की भृकुटी तन गयी थी।
*क्‍या पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री जयराम नरेश फेरेंगे कमलनाथ टीम की मेहनत पर पानी?*
मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा को जो जनसमर्थन मिला है उसका कारण प्रदेश के दिग्गज नेता हैं। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सुरेश पचौरी की तिकड़ी को यात्रा की सफलता का श्रेय जाता है। इस यात्रा के संयोजन को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने एकजुटता का संदेश देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में मुख्य भूमिका निभाई और यात्रा को सफल बनाया। दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, विवेक तन्खा, जीतू पटवारी ये वो नेता हैं जिन्होंने राहुल की इस यात्रा को सफल बनाने के लिये दिन रात एक किया और जनसमर्थन जुटाने में मुख्य भूमिका निभाई। जाहिर है कि राहुल की यात्रा को मिली यह सफलता प्रदेश कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं के लिये उत्साह को दोगुना करेगी और आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जनसमर्थन जुटाने में अहम भूमिका निभायेगी।
राहुल गांधी की अब तक इस यात्रा पर अगर हम नजर डाले तो अब तक इसके सकरात्मक परिणाम ही देखने को मिल रहे हैं। जनता का समर्थन, जनता का स्नेह और उनका सहयोग पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की ओर दिखाई दे रहा है। लेकिन अब यह कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और नेताओं की काबिलियत है कि वो आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में लोगों के इस सहयोग को वोट बैंक में किस तरह से तब्दील करते हैं। कमलनाथ और उनकी टीम को वाकई में यात्रा से ताकत मिली है। यहां एक बात जो गौर करने वाली है वो यह कि जब तक जयराम नरेश जैसे स्वार्थी नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल रहेंगे तब तक कांग्रेस पार्टी आम आदमी से सीधे तौर पर कभी नहीं जुड़ पायेगी। इसके लिये बेहतर है कि कांग्रेस पार्टी इस दिशा में विचार करे और आने वाले चुनाव से पहले जयराम नरेश को पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने व्यवहार में सुधार लाने के संकेत दे।

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