छत्तीसगढ़ के परसा ईस्ट ब्लॉक में एक महीने से कोयला उत्पादन ठप

Estimated read time 1 min read

नयी दिल्ली. छत्तीसगढ़ के परसा ईस्ट एंड कांटा बासन ब्लॉक में कोयला उत्पादन पिछले महीने से ही रुका हुआ है जिससे इस साल के लिए निजी इस्तेमाल वाली (कैप्टिव) खदानों से कोयला उत्पादन के लक्ष्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में यह आशंका जताई गई.

इस खदान का स्वामित्व राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (आरआरवीयूएनएल) के पास है जबकि इसका परिचालन अडाणी समूह द्वारा किया जा रहा था. करीब 1.5 करोड़ टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाली इस खदान में अगस्त मध्य से ही उत्पादन रुका हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय वन क्षेत्र के निवासियों की तरफ से लगातार किए जा रहे विरोध-प्रदर्शन की वजह से इस खदान से कोयला उत्पादन रोकना पड़ा है.

आधिकारिक बयान के मुताबिक, कोयला क्षेत्रों की समीक्षा बैठक के दौरान परसा ईस्ट एंड कांटा बासन खदान में स्थगित उत्पादन की स्थिति पर चर्चा की गई. इसके अलावा परसा कोयला ब्लॉक से अभी तक उत्पादन नहीं शुरू हो पाने पर भी चिंता जताई गई.
अतिरिक्त सचिव (कोयला) की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में इस बात को लेकर चिंता जताई गई कि लगातार उत्पादन ठप रहने से इस साल के उत्पादन लक्ष्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कैप्टिव खदानों से 13 करोड़ टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य रखा हुआ है. कोयला मंत्रालय ने बयान में कहा कि कैप्टिव एवं वाणिज्यिक ब्लॉक से कोयला उत्पादन अप्रैल-अगस्त, 2022 की अवधि में 57.74 प्रतिशत बढ़कर 4.39 करोड़ टन हो गया है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 2.78 करोड़ टन था.

फिलहाल देशभर की कुल 37 कैप्टिव एवं वाणिज्यिक खदानों में कोयला उत्पादन हो रहा है और इस साल 11 अन्य खदानों से भी उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. इस बढ़े हुए उत्पादन से कोयले की मांग पूरा करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय ने एक अन्य बयान में कहा कि झारखंड के 20 निष्क्रिय कैप्टिव एवं वाणिज्यिक ब्लॉक की स्थिति की भी समीक्षा की गई है. इनमें से तीन-चार ब्लॉक में इस वित्त वर्ष में कोयला खनन की मंजूरी मिल जाने की उम्मीद जताई गई है.

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours